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महाराष्ट्र सरकार का बजट: लोकलुभावन योजनाओं से परहेज, आर्थिक संतुलन पर जोर

Budget: महाराष्ट्र में महायुति सरकार ने सत्ता में वापसी के बाद अपना पहला बजट पेश किया। इस बजट में कोई नई लोकलुभावन योजना घोषित नहीं की गई, बल्कि मौजूदा आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए संतुलित नीतियों पर जोर दिया गया। वित्त मंत्री अजित पवार द्वारा पेश किए गए इस बजट में बुनियादी ढांचे और सामाजिक कल्याण योजनाओं को प्राथमिकता दी गई, लेकिन किसानों की कर्जमाफी और महिलाओं के लिए घोषित भत्तों में बढ़ोतरी जैसी घोषणाओं से परहेज किया गया।

राजकोषीय घाटा और कर्ज का बोझ बढ़ा

बजट के अनुसार, वित्त वर्ष 2025-26 में महाराष्ट्र का कुल कर्ज 9.32 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने का अनुमान है, जो राज्य के इतिहास में सबसे अधिक है। इसके अलावा, राज्य को 1.36 लाख करोड़ रुपये के राजकोषीय घाटे और 45,892 करोड़ रुपये के राजस्व घाटे का सामना करना पड़ सकता है। यह घाटा कोविड-19 के समय की तुलना में भी अधिक है, जिससे राज्य की आर्थिक स्थिति पर असर पड़ सकता है।

लोकलुभावन योजनाओं से दूरी

पिछले वर्ष की लोकलुभावन योजनाओं के कारण राज्य की अर्थव्यवस्था पर दबाव बढ़ा है। 2024 के लोकसभा चुनावों में महायुति की हार के बाद, सरकार ने नई योजनाओं की घोषणा करने से बचने का फैसला किया। घोषणापत्र में किए गए किसानों की कर्जमाफी और महिलाओं के लिए भत्ते बढ़ाने के वादों पर भी अभी अमल नहीं किया गया है।

बुनियादी ढांचे और विकास को प्राथमिकता

बजट में मुंबई महानगर क्षेत्र (एमएमआर) को सबसे अधिक बढ़ावा मिला है। सरकार ने घोषणा की है कि इसे सात अंतरराष्ट्रीय व्यापार केंद्रों के साथ एक प्रमुख विकास केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा। इसके अलावा, राज्य सरकार बुनियादी ढांचा परियोजनाओं और सामाजिक कल्याण योजनाओं पर भी ध्यान केंद्रित कर रही है।

करों में बदलाव

राजस्व बढ़ाने के लिए कुछ नए कर लगाए गए हैं।

  • सीएनजी और एलपीजी से चलने वाले चार पहिया वाहनों पर 1% मोटर वाहन कर बढ़ाया गया है।
  • 30 लाख रुपये से अधिक की कीमत वाले हाई-एंड इलेक्ट्रिक वाहनों पर 6% कर लगाया गया है।
  • पूरक दस्तावेजों पर स्टांप शुल्क 100 रुपये से बढ़ाकर 500 रुपये कर दिया गया है।

विपक्ष ने किया बजट की आलोचना

जहां सरकार ने इसे संतुलित बजट बताया है, वहीं विपक्ष ने इसकी कड़ी आलोचना की है। शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने इसे “दिखावे का बजट” और “ठेकेदारों के लिए फायदेमंद बजट” करार दिया।

राज्य की आर्थिक स्थिति और भविष्य की योजनाएं

महाराष्ट्र सरकार का लक्ष्य राज्य की अर्थव्यवस्था को 1 ट्रिलियन डॉलर तक ले जाना है, लेकिन मौजूदा बजट के आंकड़े इस लक्ष्य से काफी दूर हैं। राज्य का सकल घरेलू उत्पाद (GSDP) 7.5% की दर से बढ़ रहा है, जो राष्ट्रीय औसत 6.4% से अधिक है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि आर्थिक सुधार और निवेश बढ़ाने के लिए सरकार को और ठोस कदम उठाने होंगे।

निष्कर्ष

महाराष्ट्र सरकार ने इस बार बजट में कोई नई लोकलुभावन योजना घोषित नहीं की, बल्कि बुनियादी ढांचे और संतुलित आर्थिक नीतियों पर ध्यान केंद्रित किया है। हालांकि, बढ़ता घाटा और कर्ज सरकार के लिए चिंता का विषय है। आने वाले समय में यह देखना होगा कि सरकार कैसे अपने आर्थिक लक्ष्यों को पूरा करती है।

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