
Uttarakhand Avalanche: उत्तराखंड के चमोली जिले के माना गांव में हिमस्खलन के बाद बचाव कार्य लगातार जारी है। शनिवार को बचाव दल ने 14 और मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाला, लेकिन अभी भी 8 लोग बर्फ के नीचे फंसे हुए हैं।
Uttarakhand Avalanche: क्या हुआ था?
शुक्रवार सुबह चमोली जिले के माना गांव में अचानक हिमस्खलन हुआ, जिससे सीमा सड़क संगठन (BRO) के श्रमिकों का कैंप इसकी चपेट में आ गया। शुरू में खबर आई कि कुल 57 मजदूर फंसे हैं, लेकिन बाद में यह संख्या 55 बताई गई।
Uttarakhand Avalanche: अब तक कितने लोगों को बचाया गया?
बचाव अभियान में शुक्रवार रात तक 33 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाला गया था। शनिवार सुबह 14 और लोगों को बचा लिया गया। फिलहाल 8 मजदूर अभी भी फंसे हुए हैं, जिन्हें निकालने के लिए सेना, प्रशासन और बचाव दल लगातार प्रयास कर रहे हैं।
Uttarakhand Avalanche: बचाव कार्य में चुनौतियां
बचाव अभियान बेहद कठिन हो रहा है क्योंकि हिमस्खलन के स्थान पर करीब 7 फीट मोटी बर्फ जमी हुई है। इसके अलावा, खराब मौसम और और अधिक हिमस्खलन की आशंका भी राहत कार्य में बाधा डाल रही है।
सेना और प्रशासन की कार्रवाई
भारतीय सेना की “आईबेक्स ब्रिगेड” के 100 से अधिक जवान इस अभियान में जुटे हुए हैं। इनमें डॉक्टर और एम्बुलेंस भी शामिल हैं, ताकि बचाए गए मजदूरों को तुरंत चिकित्सा सुविधा दी जा सके।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खुद इस पूरे अभियान की निगरानी कर रहे हैं और लगातार अधिकारियों के संपर्क में हैं। वहीं, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी मुख्यमंत्री से बात कर केंद्र की ओर से हर संभव मदद का आश्वासन दिया है।
हिमस्खलन से प्रभावित मजदूर कहां के हैं?
उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अनुसार, फंसे हुए मजदूर बिहार, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, पंजाब और जम्मू-कश्मीर के रहने वाले हैं।
ऋषिकेश-बद्रीनाथ राजमार्ग भी हुआ बंद
लगातार बारिश और भूस्खलन के कारण कर्णप्रयाग के पास ऋषिकेश-बद्रीनाथ हाईवे अवरुद्ध हो गया है। प्रशासन इसे साफ करने में जुटा हुआ है ताकि जल्द से जल्द यातायात बहाल किया जा सके।
जरूरी हेल्पलाइन नंबर
उत्तराखंड सरकार ने हिमस्खलन में फंसे लोगों के परिवारों के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी किए हैं:
- मोबाइल नंबर: 8218867005, 9058441404
- टेलीफोन नंबर: 0135 2664315
- टोल-फ्री नंबर: 1070
निष्कर्ष
बचाव दल कड़ी मेहनत कर रहे हैं ताकि सभी फंसे हुए मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाला जा सके। हालांकि, खराब मौसम के कारण अभियान में मुश्किलें आ रही हैं, लेकिन प्रशासन और सेना पूरी ताकत से राहत कार्य में जुटे हुए हैं।
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