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Madhya Pradesh के दमोह में मिशनरी अस्पताल के ‘फर्जी’ कार्डियोलॉजिस्ट के इलाज से सात मौतें, एनएचआरसी जांच में जुटी

Madhya Pradesh: के दमोह जिले में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है जहां एक मिशनरी अस्पताल में कार्यरत एक कथित ‘फर्जी’ कार्डियोलॉजिस्ट द्वारा इलाज के बाद सात मरीजों की मौत हो गई। इस मामले में पुलिस ने आरोपी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है और अब राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) की टीम जांच के लिए दमोह पहुंच चुकी है।

Madhya Pradesh: क्या है पूरा मामला?

पुलिस के अनुसार, दमोह जिले के मिशन अस्पताल में एक व्यक्ति, जो खुद को “डॉ.” नरेंद्र जॉन कैम बताता था, ने कार्डियोलॉजी विभाग में मरीजों का इलाज किया। बताया जा रहा है कि उसने कई मरीजों की एंजियोग्राफी और एंजियोप्लास्टी की प्रक्रिया बिना वैध रजिस्ट्रेशन के की, जिससे जनवरी और फरवरी के बीच सात मरीजों की मौत हो गई।

दमोह के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) डॉ. एम.के. जैन द्वारा की गई शिकायत के आधार पर रविवार (6 अप्रैल 2025) की मध्यरात्रि को एफआईआर दर्ज की गई। शिकायत में आरोप लगाया गया है कि आरोपी के पास मध्य प्रदेश मेडिकल काउंसिल का रजिस्ट्रेशन नहीं है और उसके मेडिकल दस्तावेज भी संदेहास्पद हैं।

Madhya Pradesh: फर्जी डिग्री और नकली पहचान

जांच के दौरान यह सामने आया कि आरोपी ने “डॉ. नरेंद्र जॉन कैम” के नाम से अस्पताल में सेवाएं दीं। अस्पताल प्रबंधन द्वारा उपलब्ध कराए गए दस्तावेजों में आरोपी के पास आंध्र प्रदेश मेडिकल काउंसिल द्वारा जारी रजिस्ट्रेशन प्रमाणपत्र होने का दावा किया गया, लेकिन जब अधिकारियों ने आधिकारिक वेबसाइट पर जांच की, तो वहां ऐसा कोई नाम दर्ज नहीं मिला।

इतना ही नहीं, शिकायतकर्ता का दावा है कि आरोपी का असली नाम नरेंद्र विक्रमादित्य यादव है और उसने यूनाइटेड किंगडम के प्रसिद्ध कार्डियोलॉजिस्ट प्रोफेसर जॉन कैम के नाम का दुरुपयोग किया ताकि मरीजों को गुमराह किया जा सके।

Madhya Pradesh: गंभीर धाराओं में मामला दर्ज

पुलिस ने आरोपी के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (Bharatiya Nyaya Sanhita) की कई धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है, जिसमें:

  • धारा 315(4) – बेईमानी से गबन
  • धारा 338 – जालसाजी
  • धारा 336(3) – धोखाधड़ी के इरादे से दस्तावेज़ या इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड बनाना या बदलना
  • धारा 340(2) – जाली दस्तावेज़ व इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड
  • धारा 3(5) – साझा आपराधिक उत्तरदायित्व

एनएचआरसी कर रही है स्वतंत्र जांच

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के सदस्य प्रियंक कानूनगो ने शुक्रवार (4 अप्रैल 2025) को सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि दमोह के मिशनरी अस्पताल में फर्जी डॉक्टर द्वारा दिल की बीमारी के नाम पर इलाज करने से सात मरीजों की असमय मृत्यु हुई है। उन्होंने बताया कि यह अस्पताल प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत आता है, इसलिए इसमें सरकारी धन का भी दुरुपयोग हुआ है।

एनएचआरसी द्वारा गठित जांच टीम 7 अप्रैल से 9 अप्रैल तक दमोह में रहकर पूरे मामले की तह तक जाने की कोशिश करेगी। प्रियंक कानूनगो ने कहा, “अगर कोई पीड़ित या व्यक्ति इस मामले से जुड़ी जानकारी देना चाहता है, तो वह जांच टीम से दमोह में मिल सकता है।”

प्रशासन भी कर रहा है जांच

दमोह के कलेक्टर सुधीर कोचर ने रविवार को कहा कि मामले की शिकायत मिली है और प्रशासनिक स्तर पर भी जांच जारी है। साथ ही, अस्पताल प्रबंधन ने यह स्पष्ट किया है कि आरोपी अस्पताल से पहले ही जा चुका है और उसका वर्तमान ठिकाना अज्ञात है।

निष्कर्ष

यह मामला न केवल एक व्यक्ति की फर्जी पहचान और झूठी डिग्री के कारण हुई दर्दनाक मौतों को उजागर करता है, बल्कि चिकित्सा प्रणाली में व्याप्त खामियों की ओर भी इशारा करता है। जहां एक ओर मरीज अस्पतालों पर भरोसा कर अपनी जान सौंपते हैं, वहीं इस तरह की घटनाएं उस भरोसे को गहरा आघात पहुंचाती हैं।

जांच रिपोर्ट आने के बाद यह स्पष्ट होगा कि कौन-कौन लोग इस घोटाले में शामिल थे और क्या मिशनरी अस्पताल की भूमिका संदिग्ध रही। फिलहाल, पीड़ित परिवारों को न्याय दिलाने के लिए NHRC और पुलिस की जांच का इंतजार है।

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