
Bengaluru: कर्नाटक में सिद्धारमैया सरकार द्वारा चुनाव से पहले किए गए वादों को पूरा करने के लिए एक विशेष पैनल बनाया गया है। इस पैनल में कांग्रेस कार्यकर्ताओं को पद दिए गए हैं और उनके वेतन व भत्तों के लिए बजट भी निर्धारित किया गया है। इस फैसले पर विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और जनता दल (एस) ने कड़ी आपत्ति जताई है।
भाजपा और जद (एस) ने कांग्रेस पर आरोप लगाया है कि वह सरकारी पैसे का दुरुपयोग कर रही है और करदाताओं के धन से अपने कार्यकर्ताओं को फायदा पहुंचा रही है। भाजपा नेताओं ने इस मुद्दे को लेकर विधान सौध के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। जद (एस) के विधायक एमटी कृष्णप्पा ने विधानसभा में इस मामले को उठाते हुए कहा कि जब पहले से ही विधायक और अधिकारी सरकारी योजनाओं की निगरानी कर रहे हैं, तो कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर पैसा खर्च करना अनावश्यक है।
भाजपा का कांग्रेस पर हमला
विपक्ष के नेता आर अशोक ने कांग्रेस सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि सरकार और पार्टी के बीच का अंतर खत्म हो गया है। उन्होंने कहा, “आप करदाताओं का पैसा कांग्रेस कार्यकर्ताओं को कैसे दे सकते हैं? अगर उन्हें भुगतान करना है, तो पार्टी खुद करे, सरकार क्यों पैसा दे रही है? इन कार्यकर्ताओं को सरकारी सुविधाएं, कैबिनेट रैंक और कार्यालय दिए जा रहे हैं।”
भाजपा के पूर्व गृह मंत्री अरागा ज्ञानेंद्र ने भी इस फैसले का विरोध किया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस कार्यकर्ता विधायकों के साथ मिलकर काम करने के बजाय अलग से बैठकें कर रहे हैं, जिससे यह साफ होता है कि सरकार लोकतांत्रिक मूल्यों का उल्लंघन कर रही है।
शिवकुमार ने दिया जवाब
उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने इन आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं को सरकार की योजनाओं की निगरानी करने का पूरा अधिकार है। उन्होंने कहा, “हमारी सरकार जनता से किए गए वादों को पूरा कर रही है। भाजपा ने हमेशा इन गारंटी योजनाओं का विरोध किया है, लेकिन जनता की भलाई के लिए हमने इन योजनाओं को लागू किया है।”
उन्होंने आगे बताया कि कांग्रेस सरकार गारंटी योजनाओं के लिए 52,000 से 56,000 करोड़ रुपये का बजट तय कर रही है, जो कुल बजट का 20 प्रतिशत है। उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा शासित राज्यों में भी इसी तरह की योजनाएं लागू की जा रही हैं, लेकिन कर्नाटक में इसका विरोध किया जा रहा है।
भाजपा का प्रदर्शन और आगे की रणनीति
भाजपा ने इस मुद्दे को लेकर राज्यपाल को ज्ञापन सौंपने का फैसला किया है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बीवाई विजयेंद्र ने कहा, “सरकार कांग्रेस कार्यकर्ताओं को वेतन देने के लिए राज्य के धन का दुरुपयोग कर रही है। यह करदाताओं के पैसे की लूट है, जिसे हम बर्दाश्त नहीं करेंगे।”
अशोक ने मीडिया से बातचीत में कहा कि हर विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस नेताओं की नियुक्ति की जा रही है और उन्हें निजी सहायकों के साथ 25,000 रुपये वेतन दिया जा रहा है। इसके अलावा, प्रदेश अध्यक्ष को 40,000 रुपये और उपाध्यक्ष को 25,000 रुपये वेतन मिल रहा है। भाजपा का दावा है कि हर साल 15-20 करोड़ रुपये कांग्रेस कार्यकर्ताओं में बांटे जा रहे हैं।
इस विवाद के चलते कर्नाटक में सियासी माहौल गरमाया हुआ है। विपक्ष कांग्रेस सरकार पर जनता के धन के गलत इस्तेमाल का आरोप लगा रही है, जबकि कांग्रेस इसे अपने चुनावी वादों को पूरा करने की रणनीति बता रही है। देखना होगा कि आने वाले दिनों में यह मामला किस दिशा में आगे बढ़ता है।
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