
Hyderabad: हैदराबाद की एक अदालत ने दो पत्रकारों पर लगाए गए संगठित अपराध (Section 111, भारतीय न्याय संहिता – BNS) के आरोप को खारिज कर दिया है। यह धारा संगठित अपराधों के लिए होती है, जिसमें दोषी पाए जाने पर 5 साल से लेकर आजीवन कारावास या मौत की सजा तक हो सकती है। पुलिस ने इन पत्रकारों पर तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी के खिलाफ कथित रूप से आपत्तिजनक वीडियो प्रसारित करने का आरोप लगाया था।
क्या था मामला?
पुलिस ने यूट्यूब न्यूज़ चैनल ‘पल्स डिजिटल न्यूज़ नेटवर्क’ की मैनेजिंग डायरेक्टर रेवती पोगडाडंडा और कर्मचारी थानवी यादव को 11 मार्च को गिरफ्तार किया था। एक कांग्रेस कार्यकर्ता की शिकायत पर यह कार्रवाई की गई थी।
शिकायत में कहा गया कि एक्स (पहले ट्विटर) पर एक वीडियो शेयर किया गया था, जिसमें एक व्यक्ति सीएम रेड्डी और उनके परिवार के खिलाफ अपमानजनक बातें कह रहा था।
कोर्ट ने क्यों खारिज किया संगठित अपराध का आरोप?
12 मार्च को कोर्ट ने कहा कि इस मामले में Section 111 लागू नहीं होता, क्योंकि इसमें किसी तरह के पैसों के लेन-देन या अन्य गंभीर अपराधों का संकेत नहीं मिलता। हालांकि, अदालत ने आईटी एक्ट और BNS की अन्य धाराओं को कायम रखा, जिनमें झूठी जानकारी फैलाने से जुड़े आरोप शामिल हैं।
पत्रकारों की गिरफ्तारी को लेकर बहस
पत्रकारों की ओर से वकील जक्कुला लक्ष्मण ने दलील दी कि इस मामले में संगठित अपराध की धारा लगाना पूरी तरह अनुचित था। उन्होंने कहा, “जिन धाराओं के तहत मामला दर्ज हुआ है, उनकी अधिकतम सजा 7 साल से कम है, ऐसे में तुरंत गिरफ्तारी जरूरी नहीं थी। लेकिन राजनीतिक दबाव में आकर उन्हें जल्दबाजी में गिरफ्तार किया गया।”
वहीं, सरकारी वकील (APP) ने पत्रकारों के व्यवहार को भड़काऊ बताया और कहा कि इससे कानून-व्यवस्था बिगड़ सकती थी।
सीएम रेवंत रेड्डी की प्रतिक्रिया
इस मामले को लेकर सीएम रेवंत रेड्डी ने सख्त रुख अपनाया है। तेलंगाना विधानसभा में उन्होंने सोशल मीडिया पर की जा रही आलोचना पर नाराजगी जताई और पत्रकारिता को नियंत्रित करने के लिए नए कानून की ओर इशारा किया।
उन्होंने कहा, “मीडिया संगठनों और उनके संघों को यह तय करना चाहिए कि कौन पत्रकार है। सरकार को उनकी सूची दी जानी चाहिए, ताकि वे ही पत्रकार माने जाएं। बाकी लोगों को अपराधी माना जाएगा और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई होगी।”
सीएम रेड्डी ने पत्रकारों की गिरफ्तारी का बचाव करते हुए विपक्षी पार्टी भारत राष्ट्र समिति (BRS) पर ऑनलाइन हमलों की साजिश रचने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “क्या मैं हमेशा चुप रहूं, जब मेरे परिवार की महिलाओं को गालियां दी जा रही हैं?”
उन्होंने यह भी कहा कि “मैं उन्हें (आरोपियों को) नंगा कराकर सड़क पर घुमाऊंगा, क्योंकि उन्हें मेरी परिवार की महिलाओं पर टिप्पणी करने का हक नहीं है।”
आगे क्या होगा?
इस मामले में पत्रकारों ने जमानत के लिए अर्जी दी है। वहीं, पुलिस ने अब उनकी और पूछताछ के लिए कस्टडी की मांग की है। पुलिस का कहना है कि इस वीडियो को एक्स पर सबसे पहले पोस्ट करने वाले तीसरे आरोपी का अभी तक कोई पता नहीं चला है, इसलिए दोनों पत्रकारों से आगे पूछताछ जरूरी है।
निष्कर्ष
कोर्ट ने पत्रकारों पर संगठित अपराध का आरोप खारिज कर दिया, लेकिन अन्य धाराएं अभी भी बनी हुई हैं। यह मामला अब प्रेस की स्वतंत्रता बनाम सरकार के रुख का बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है। सीएम रेड्डी के सख्त बयानों के बाद इस पर और विवाद बढ़ने की संभावना है।
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