India and America के बीच व्यापार समझौते पर बनी सहमति, पीएमओ के हस्तक्षेप के बाद संभव हुआ समझौता

India and America: भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते को लेकर एक महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। भारतीय एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौते की संदर्भ शर्तों (ToR) को स्वीकार कर लिया है। यह विकास प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) के हस्तक्षेप के बाद संभव हो सका है।
India and America: व्यापार समझौते की पृष्ठभूमि
यह घटनाक्रम ऐसे समय में सामने आया है जब अमेरिका द्वारा “रिसिप्रोकल टैक्स” (पारस्परिक कर) लागू करने की समय-सीमा समाप्त होने वाली थी। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2 अप्रैल को “लिबरेशन डे” के रूप में घोषित किया था, जिस दिन से अमेरिका अपने प्रतिशोधी शुल्क लागू करने वाला था।
रिपोर्ट के मुताबिक, व्यापार समझौते के लिए संदर्भ शर्तें (ToR) एक आधारभूत ढांचा प्रदान करती हैं और इसे देश के उच्चतम राजनीतिक स्तर से मंजूरी की आवश्यकता होती है। पीएमओ ने इस समझौते को “शीघ्र अंतिम रूप” देने की इच्छा जताई थी।
India and America: क्या है व्यापार समझौते का महत्व?
यह व्यापार समझौता भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंधों को मजबूती प्रदान करेगा। अमेरिका लंबे समय से भारत पर उच्च शुल्क लगाने का आरोप लगाता रहा है और चाहता है कि भारत अमेरिकी वस्तुओं पर आयात शुल्क में भारी कटौती करे। इस संदर्भ में, भारत ने अब अमेरिका के साथ औपचारिक बातचीत के लिए सहमति दे दी है।
India and America: अमेरिकी पक्ष की रणनीति
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनकी टीम अभी भी इस समझौते के तहत शुल्क की सीमा और क्षेत्र को अंतिम रूप देने पर विचार कर रही थी। ट्रंप प्रशासन के अधिकारी मंगलवार को भी इस पर चर्चा कर रहे थे और बुधवार दोपहर एक आधिकारिक घोषणा की उम्मीद की जा रही थी।
ट्रंप का भारत को लेकर बयान
सोमवार को, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया कि भारत अमेरिकी उत्पादों पर अपने शुल्क को “काफी हद तक” कम करने वाला है। उन्होंने कहा:
“अगर आप यूरोपीय संघ को देखें, तो उन्होंने अपने वाहनों पर शुल्क पहले ही 2.5% तक कम कर दिया है… यह दो दिन पहले घोषित किया गया था… मुझे थोड़ी देर पहले पता चला कि भारत भी अपने शुल्क को काफी हद तक कम करने जा रहा है…”
हालांकि, भारत सरकार की ओर से अभी तक इस दावे की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। https://dastaknews24.com/

भारत पर प्रभाव
अगर भारत इस समझौते के तहत अमेरिकी उत्पादों पर शुल्क कम करता है, तो इसके कई प्रभाव हो सकते हैं:
- अमेरिकी वस्तुओं की भारत में कीमत कम होगी – इससे उपभोक्ताओं को लाभ होगा, लेकिन घरेलू उद्योगों पर दबाव बढ़ सकता है।
- भारतीय निर्यातकों को संभावित लाभ – बदले में, भारत अमेरिका को अपने निर्यात बढ़ाने की शर्त रख सकता है।
- निवेश को बढ़ावा – अमेरिका और भारत के व्यापारिक संबंधों में मजबूती से दोनों देशों के निवेश को बढ़ावा मिलेगा।
- कृषि और विनिर्माण क्षेत्र पर प्रभाव – यदि कृषि उत्पादों और औद्योगिक वस्तुओं पर आयात शुल्क कम किया जाता है, तो इससे भारतीय किसानों और निर्माताओं पर असर पड़ सकता है।
भारत-अमेरिका व्यापारिक संबंधों का भविष्य
भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंध पिछले कुछ वर्षों में मजबूत हुए हैं, लेकिन कुछ मुद्दों को लेकर मतभेद भी बने हुए हैं। अमेरिका चाहता है कि भारत अपनी डिजिटल व्यापार नीतियों में बदलाव करे और अमेरिकी कंपनियों के लिए अधिक बाजार खोलने की अनुमति दे। वहीं, भारत अपने घरेलू उद्योगों और किसानों की सुरक्षा के लिए सावधानीपूर्वक निर्णय ले रहा है।
इस व्यापार समझौते के अंतिम रूप लेने के बाद, भारत और अमेरिका के बीच आर्थिक संबंधों में नया मोड़ आ सकता है। अब देखने वाली बात यह होगी कि इस समझौते का अंतिम रूप क्या होता है और इसमें किन-किन वस्तुओं के आयात शुल्क में बदलाव किया जाता है।
निष्कर्ष
भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौता एक महत्वपूर्ण कदम है जो दोनों देशों के आर्थिक संबंधों को नई दिशा दे सकता है। हालांकि, भारत को यह सुनिश्चित करना होगा कि यह समझौता देश के हित में हो और घरेलू उद्योगों को नुकसान न पहुंचाए। अमेरिका द्वारा लगाए गए “रिसिप्रोकल टैक्स” के प्रभाव को कम करने के लिए यह समझौता कितना कारगर होगा, यह आने वाले समय में साफ हो जाएगा।
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