
Azad Kashmir: जादवपुर विश्वविद्यालय में एक दीवार पर ‘आजाद कश्मीर’ और ‘फ्री फिलिस्तीन’ लिखे जाने से बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। इस घटना के बाद तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और वामपंथी संगठनों के बीच आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गए हैं। टीएमसी की छात्र इकाई ने इसके लिए ‘अति-वामपंथी’ संगठनों को जिम्मेदार ठहराया है, जबकि सीपीआई (एम) से जुड़े स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) ने इस आरोप को खारिज कर दिया है।
कैसे शुरू हुआ विवाद?
यह मामला तब सामने आया जब विश्वविद्यालय के गेट नंबर तीन के पास एक दीवार पर काले रंग के भित्तिचित्र देखे गए। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं हो पाया कि इन्हें किसने बनाया।
टीएमसी की छात्र इकाई के अध्यक्ष किशलय रॉय ने इस मामले पर कहा कि विश्वविद्यालय परिसर में इस तरह के और भी भित्तिचित्र देखे जा सकते हैं। दूसरी ओर, एसएफआई नेता अभिनबा बसु ने कहा कि उनका संगठन अलगाववादी विचारों का समर्थन नहीं करता है। हालांकि, उन्होंने भाजपा शासित राज्यों में अल्पसंख्यकों के दमन के खिलाफ अपनी स्थिति स्पष्ट की।
विरोध प्रदर्शन और पुलिस की मौजूदगी
इस विवाद से पहले भी जादवपुर विश्वविद्यालय में 1 मार्च को हिंसक घटनाएं हुई थीं। वामपंथी छात्र संगठनों ने शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु के काफिले का विरोध किया था, जिसमें दो छात्र घायल हो गए थे। इसके बाद विश्वविद्यालय में विरोध प्रदर्शन तेज हो गए।
छात्रों और शिक्षकों का एक वर्ग इस बात से भी नाराज था कि सादे कपड़ों में पुलिसकर्मी विश्वविद्यालय परिसर में घुस आए थे। आरोप है कि जब टीएमसी समर्थित शिक्षाविद ओम प्रकाश मिश्रा परिसर में पहुंचे, तो उसी समय करीब 30 पुलिसकर्मी भी वहां आ गए।
पुलिस की भूमिका पर सवाल
विश्वविद्यालय प्रशासन ने दावा किया कि उसने पुलिस को परिसर में नहीं बुलाया था और अधिकारियों को इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी। पुलिस 1 मार्च से ही विश्वविद्यालय के बाहर तैनात थी और स्थिति पर नजर बनाए हुए थी।
क्या होगा आगे?
इस विवाद से जादवपुर विश्वविद्यालय में राजनीतिक टकराव और बढ़ गया है। टीएमसी और वामपंथी संगठनों के बीच आरोप-प्रत्यारोप जारी हैं। इस मामले पर आगे क्या कार्रवाई होगी, यह देखना बाकी है। फिलहाल, विश्वविद्यालय में शांति बनाए रखने के प्रयास किए जा रहे हैं।
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