
Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र में सुरक्षाबलों और माओवादियों के बीच सोमवार सुबह मुठभेड़ हुई, जिसमें 25 लाख रुपये की इनामी महिला माओवादी मारी गई। यह मुठभेड़ दंतेवाड़ा और बीजापुर जिलों की सीमा पर स्थित जंगलों में हुई। पुलिस अधिकारियों ने इस घटना की पुष्टि की है।
Chhattisgarh: कैसे हुई मुठभेड़?
दंतेवाड़ा के पुलिस अधीक्षक (एसपी) गौरव राय के अनुसार, यह मुठभेड़ सुबह लगभग 9 बजे हुई, जब जिला रिजर्व गार्ड (DRG) की एक टीम इन जंगलों में नक्सल विरोधी अभियान चला रही थी। ऑपरेशन दंतेवाड़ा के गीदम और बीजापुर के भैरमगढ़ क्षेत्र के जंगलों में चलाया गया था।
जब मुठभेड़ समाप्त हुई, तो सुरक्षाबलों को मौके पर एक महिला माओवादी का शव मिला। मारी गई महिला की पहचान रेणुका उर्फ चैतू उर्फ सरस्वती के रूप में हुई, जो पड़ोसी राज्य तेलंगाना के वारंगल जिले की निवासी थी। वह माओवादियों के सबसे मजबूत संगठन दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी की प्रेस टीम की प्रमुख थी।
Chhattisgarh: रेणुका का माओवादी संगठन में योगदान
रेणुका दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी की एक महत्वपूर्ण सदस्य थी। यह संगठन माओवादियों के सबसे सक्रिय और खतरनाक गुटों में से एक माना जाता है। वह लंबे समय से सुरक्षा बलों के निशाने पर थी और उस पर सरकार द्वारा 25 लाख रुपये का इनाम घोषित किया गया था।
Chhattisgarh: मुठभेड़ के दौरान बरामद हथियार
सुरक्षाबलों को मुठभेड़ स्थल से इनसास राइफल, अन्य हथियार और विस्फोटक सामग्री भी मिली है। यह संकेत देता है कि माओवादी इस इलाके में बड़ी संख्या में मौजूद हैं और किसी बड़े हमले की योजना बना सकते थे।
बस्तर क्षेत्र में बढ़ती माओवादी गतिविधियाँ
छत्तीसगढ़ में इस वर्ष अब तक विभिन्न मुठभेड़ों में कुल 135 माओवादी मारे जा चुके हैं, जिनमें से 119 सिर्फ बस्तर डिवीजन में मारे गए हैं। बस्तर क्षेत्र में सात जिले – दंतेवाड़ा, बीजापुर, सुकमा, कांकेर, नारायणपुर, कोंडागांव और बस्तर आते हैं, जो माओवादी गतिविधियों से प्रभावित हैं।
सरकार की माओवाद उन्मूलन नीति
केंद्र सरकार नक्सलवाद को खत्म करने के लिए बड़े पैमाने पर अभियान चला रही है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार 31 मार्च 2026 तक नक्सलवाद को पूरी तरह खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध है।
हाल ही में सुरक्षा बलों द्वारा सुकमा और बीजापुर जिलों में दो अलग-अलग मुठभेड़ों में 18 माओवादी मारे गए थे, जिनमें 11 महिलाएँ शामिल थीं। इसके अलावा, इस महीने की शुरुआत में बीजापुर और कांकेर जिलों में दो अलग-अलग मुठभेड़ों में 30 माओवादी मारे गए थे।
नक्सलियों के खिलाफ सुरक्षा बलों का बढ़ता दबाव
सरकार द्वारा हाल के वर्षों में माओवादियों के खिलाफ ‘समाधान’ रणनीति को लागू किया गया है, जिसके तहत उनकी गतिविधियों को सीमित किया जा रहा है। सरकार न केवल सशस्त्र कार्रवाई कर रही है बल्कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विकास कार्यों को भी बढ़ावा दे रही है। सड़क निर्माण, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसी योजनाओं को तेजी से लागू किया जा रहा है।
नक्सलवाद की समाप्ति के लिए स्थानीय सहयोग आवश्यक
विशेषज्ञों का मानना है कि माओवाद के खिलाफ केवल सैन्य अभियान से नहीं बल्कि स्थानीय समुदायों को साथ लेकर काम करने से ही इस समस्या का स्थायी समाधान निकाला जा सकता है। सरकार और सुरक्षा बल ग्रामीणों को मुख्यधारा में जोड़ने के लिए कई योजनाएँ चला रहे हैं।
निष्कर्ष
छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र में माओवादियों के खिलाफ सुरक्षा बलों की यह बड़ी सफलता माओवाद के खात्मे की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। महिला माओवादी रेणुका की मौत माओवादी संगठन के लिए एक बड़ा झटका है।
सरकार की माओवाद विरोधी नीति के चलते नक्सली गतिविधियों में काफी कमी आई है, और आने वाले वर्षों में इनके पूरी तरह खत्म होने की संभावना जताई जा रही है। यदि सुरक्षा बलों का यह दबाव जारी रहता है और सरकार विकास कार्यों पर ध्यान देती है, तो छत्तीसगढ़ जल्द ही माओवाद से मुक्त हो सकता है।
Chhattisgarh: